वहीं मेरी मां है

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वहीं मेरी मां है

Here goes a poem, after a very long time. For my favorite person, my MOM.

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वहीं मेरी मां है

सुंदर इस मौसम से भी
अगर कोई, कहीं है
तो हां, वो मेरी जान
बस वही है।

उसकी गोद में सिर रख कर,
बस यूंही, बेखबर सा लेटे रहना,
उसका प्यार से
मेरे बालों को सहलाना
एक अलग सा सुकून देता है।

मेरी गलती पर मुझे टोकती है,
हार पर समझाती है।
और जीत पर
मेरे आगे तारीफ करने से कतराती है।

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उम्र मेरी 2 हो या 20,
नज़र मेरे हर कदम पर रखती है।
कहीं गिर ना जाऊं, संभालती है मुझे,
और थोड़ा लेट हो जाऊ, तो गेट पर ही मेरी राह तकती है।

रातें जो बिन सोए बिताई, उसने मेरे लिए।
आज मुझे चैन से सोने वहीं तो देती हैं।
और हर मुश्किल से टकराने कि हिम्मत, वो जुनून
मुझे वहीं तो देती हैं।

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मेरी हर कामयाबी, हर जीत के पीछे
अथक मेहनत उसी की तो है।
और मेरी ज़िन्दगी, मेरी पहचान,
सब उसी से तो है।

घर में घुसते ही, सबसे पहले,
हम सब उसे है बुलाते हैं।
लेकिन सामने से ‘I Love You’ कहने में भी
हम बहुत शरमाते हैं।

वहीं जन्नत है मेरी, वहीं मेरा जहां है।
वहीं रब है मेरा, वहीं मेरी मां है।

So how was it? Do share with your mom.

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