मत जाना तुम
ये उजाला जो मेरी ज़िंदगी तुम लाए हो अब यूँ इस रात के जैसे चले मत जाना तुम।
क्योंकि ये मिठास तो ज़िन्दगी की अब तुम ही से है यूँही किसी बात की तरह बिगड़ मत जाना तुम।
कि तुम ही हो रमा वो, जिसकी मन्नत मैंने की उम्मीदें देकर अकेला, अब छोड़ मत जाना तुम।
वो राज़ सारे अनकहे जो कहे थे मैंने तुमसे, वो सारे सितम जो वक्त ने किए मुझ पर उनकी यूँ नुमाइश करके इश्क़ से मेरा भरोसा मत उठाना तुम।
जो चाहत तुमसे की है, होगी नही किसी और से अब हमारी वो पहली मुलाक़ात, पहली बात ख़ूबसूरत यादे है सब, पर सिर्फ उन यादों के भरोसे ऐसे छोड़कर मुझे, यूँही वक्त के जैसे चले मत जाना तुम।
तुमसे मिला तो ऐसा लगा के वक्त थम सा गया हो तेरे पास होने के एहसास से ही मानो सब मिल गया हो वो ऐतबार, वो प्यार जो है तुमसे उसे बिना मुकम्मल किये, ऐसे बेरुख़ी से चले मत जाना तुम।
मिलना तुमसे एक इत्तेफ़ाक था, जो है एक ख़ूबसूरत याद ही सही तुझे हर दुआ में माँग रहा हूँ मैं, कमबख्त कोई तारा टूटता दिखे तो सही। जो वादें हैं सारे मुहब्बत के, उन्हें निभाना तुम, यूँही भूलकर उन्हें पुरानी बातों के जैसे, चले मत जाना तुम।
वो मेरा हँसना, मुस्कुराना, रोना सिर्फ़ तुमसे है, वो मेरा जीना, मरना और होना सिर्फ़ तुमसे है, ऐसे तो मिलते है ना जाने ही लोग कितने दुनिया में लेकिन ये धड़कनों का बढ़ना और बेख़ुदी का होना सिर्फ़ तुमसे है। ज़िंदगी में आकर इसे महकाया है तुमने, अब उम्र भर साथ निभाना तुम, सहम जाता हूँ अकेला, हाथ थामना मेरा, ऐसे भीड़ में इसे छोड़कर चले मत जाना तुम।